Waseem Bareilvy


dareechoN tak chale aaye tumhare daur ke khatre

ham apne ghar se baahar jhaankne ka hauslaa bhi kho baithe

wo apne waqt ke nasshe mein khushiaN chhin le tujhse

magar jab tum hansee baantoN to usko bhool mat jaana

apne har har lafz ka khud aaiinaa ho jaaoongaa

us ko chhota kah ke main kaise badaa ho jaaoongaa
tum giraane mein lage the tum ne sochaa hi nahiin

main giraa to maslaa ban kar khadaa ho jaaoongaa
mujh ko chlane do, akelaa hai abhi meraa safar

raastaa rokaa gayaa to qaafila ho jaaoongaa
saari duniya ki nazar mein hai meraa ahd-e-vafaa

ek tere kahne se kya main bevafaa ho jaaoongaa
_____________________________________Waseem Bareilvi

Ram, the Imam e Hind of Allama Iqbal


लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द ।
सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द ।।
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर,
रिफ़अत में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द ।
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त,
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द ।
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द ।
एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत का है ,
यहीरोशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द ।
तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था,
पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था ।
:- Sir Mohammed Iqbal

शब्दार्थ :लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द । सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द ।।= हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है। पूरब के सभी महान चिंतक इहंद के राम हैं; फिक्रे-फ़लक=महान चिंतन; रिफ़अत=ऊँचाई; बामे-हिन्द=हिन्दी का गौरव या ज्ञान; मलक=देवता; सरिश्त=ऊँचे आसन पर; एजाज़=चमत्कार; चिराग़े-हिदायत=ज्ञान का दीपक; सहर=भरपूर रोशनी वाला सवेरा; शुजाअत=वीरता; फ़र्द=एकमात्र, अद्वितीय; पाकीज़गी= पवित्रता